सरोवर में तेरी आँखों के,
कमल बन कर के खिल जाऊँ।
तेरे अश्कों के मोती में ,
बन कर बूँद मिल जाऊँ।
नहीं किस्मत में सब कलियों की ,
बन कर फूल मुस्काएं
मगर चाहत का फिर भी हक़ ,
कि वे मन में न रह जाएँ।
"काव्याँश "
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