काव्य सदैव से ही मानव के अंतर्मन से उमड़ने वाले भावों, संवेदनाओं और व्यथा को प्रकट करने , समझने का एक अनुपम माध्यम रहा है।काव्य की व्यापकता हर्ष में, विषाद में, प्रेम में, मिलन और बिछोह में, मित्रता और शत्रुता में, विस्तृत है। सभी प्रकार के मनभावों में काव्य प्रस्फुटित होकर हृदय को आलोकित कर देता है। इन उदगारों का हाथ थामकर जो कुछ भी कलम, कागज से मिलकर सृजित करती है उसे साझा करने का एक प्रयास है: अंतर्मन की कविता काव्य संग्रह।। "काव्याँश"
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kavita...कविता
हार जीत परिणाम समर का नही वीरता का पैमाना निश्छल जिसने युद्ध लड़ा नियति ने सत्यवीर उसे माना मेरी पलकों और नींदों का रहा हमेशा ब...
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रात की बाहों में भटके, चांद अपनी नींद ढूंढे। याचक बनी प्यासी धरा, मेघों में शीतल बूंद ढूंढे। पुष्प ढूंढे एक भ्रमर जो, प्रेम का निश्छल पुजारी...
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ये राही मन फिर से मेरा , उन गलियों में जाना चाहे । जिन गलियों में चलना सीखा , उन में फिर खो जाना च...
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