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सोमवार, 4 जुलाई 2022

वही बाल पन सा निश्छल मन..The same childish mind.

 वही  बाल पन सा निश्छल  मन। 
वही महक दे प्यारी सी। ।  
ऐ जीवन तू एक पल दे दे । 
भोर उसी फुलवारी की । । 
कहीं कोई एक शाखा दे दे  ।
उन पेड़ों से विनती कर । । 
जिनपर झूली थी तरुणाई । 
आशाओं के पेंग बढ़ाकर  । । 

"काव्याँश" 



The same childish mind. 
Give that  sweet smell .  
O life, give me a moment. 
In the morning of the same garden . 
Give a branch somewhere,
Beg those trees. 
On which adolescence used  to  swing, 
By increasing the jumps of hopes.

kavita...कविता

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