काव्य सदैव से ही मानव के अंतर्मन से उमड़ने वाले भावों, संवेदनाओं और व्यथा को प्रकट करने , समझने का एक अनुपम माध्यम रहा है।काव्य की व्यापकता हर्ष में, विषाद में, प्रेम में, मिलन और बिछोह में, मित्रता और शत्रुता में, विस्तृत है। सभी प्रकार के मनभावों में काव्य प्रस्फुटित होकर हृदय को आलोकित कर देता है। इन उदगारों का हाथ थामकर जो कुछ भी कलम, कागज से मिलकर सृजित करती है उसे साझा करने का एक प्रयास है: अंतर्मन की कविता काव्य संग्रह।। "काव्याँश"
शनिवार, 25 जून 2022
मन के अथाह सागर की....Of the bottomless ocean of the heart
रविवार, 1 मई 2022
जीवन का आधार असीमित....Extension of life is unlimited
In the height of the vast sky,
बुधवार, 6 अप्रैल 2022
ये राही मन...My traveler heart
ये राही मन फिर से मेरा ,
उन गलियों में जाना चाहे ।
जिन गलियों में चलना सीखा ,
उन में फिर खो जाना चाहे ।
ये पग मेरे फिर से ढूंढे ,
उन राहो के पत्थर को ,
जिन पर ठोकर खाकर सम्भला।
सीखा ऊँचा करना सर को ।।
इन नैनो को उन मीतों से ,
फिर मिलने की अभिलाषा,
जिन मीतों से इन्हे मिलाकर ।
सीखी दिल ने प्रेम की भाषा ।।
तोड़ बिखेरे जिन लम्हों ने ,
मन के कोमल जज्बातों को ,
मैं फिर से अब उन्हें पुकारू,
उन दिवसों उन रातों को ।
ये कर मेरे फिर से मचलें ,
छूने को उन फूलों को ।
आहत करने में जिन फूलों ने ,
पीछे छोड़ा शूलों को ।।
उपकार ह्रदय पर उनका भी है ,
छद्म रूप धर जिन मित्रों से ,
मनोभाव छल छलनी मेरा ,
हृदय हुआ जिन कतरों से...
"काव्याँश"
My traveler heart once again,
Would like to go to those streets.
The streets I learned to walk
Want to be lost in them once again.
my steps once again, searching
to those path stones,
I stumbled upon and
Learned to raise my head high.
these eyes desire to see those beloved,
longing to meet them once again,
Heart learned the language of love from them.
The moments that broke,
soft feelings of heart,
I will call them again now,
To those days and nights,
Made me cry again and again..
these palms wish to touch those flowers.
The flowers that hurt, more than thorns.
Leaving the prongs behind.
their gratitude is also on the heart,
friends who disguised themselves, became apart.
सोमवार, 4 अप्रैल 2022
चांद की राह...the path of the moon
व्योम की गोद में चांद की राह है ।
क्षितिज के पार तक पहुंचना चाह है।।
युग युगों से यूं ही अथक चलता रहा।
मिलन की आस में हृदय जलता रहा ।।
ऋण लिए सूर्य से रौशनी के लिए ।
जाने कितने पथिक पथ प्रकाशित किए ।।
तू है अपयश का बिंब या प्रतीक प्रेम का ।
तू प्रकाश चाहता या अंधकार रैन का ।।
है बड़ा ही कठिन समझना चांद को ।
रूप के इस मीत को तुम नया नाम दो।।.
"काव्यांश,"
In the lap of sky, lies the path of the moon.
Want to reach beyond the horizon.
It has been going on tirelessly since ages.
The heart kept burning in the hope of meeting soon.
Took a debt for the light from the sun.
how many paths have been enlighten.
Are you the symbol of blame or the symbol of love.
Do you want light or you love darkness.
It is very difficult to understand the moon.
You give a new name to the beauty of this form.
रविवार, 3 अप्रैल 2022
अगर कविता न लिख पाया. ..If I can not write poem.
बिखर जाऊंगा शब्दों में ,अगर कविता न लिख पाया ।
मुझे आंसू भी कोसेंगे ,उन्हें सरिता न लिख पाया ।।
हर टूटे हुए मन की चुभन को जानता हूं मैं।
कलम तू जानती सब है किसे क्या मानता हूं मैं...
"काव्याँश"
I will be scattered in words, if I can not write poem.
I would even cursed by tears, if I could not write them as rivers.
I know the prick of every broken heart.
my pen ,you know everything what I believe...
गुरुवार, 31 मार्च 2022
बूंद बारिश की, A drop of rain
ये मोती हैं बरसों से किसी सीपी को तरसे हैं।।
घटाओं ने किया बेघर जिन्हे अपने घराने से।
चमकती थी बादलों में अजनबी अब ठिकाने से।।❤
"काव्याँश "
Save a drop of rain, someone's tears have rained.
These are pearls , have been craving for a shell since years.
Those who are homeless by the clouds...
used to shine in the clouds, now
strangers from their whereabouts.
बचपन, CHILDHOOD
महल रेतों के बनते थे हमारी भी हथेली से
kavita...कविता
हार जीत परिणाम समर का नही वीरता का पैमाना निश्छल जिसने युद्ध लड़ा नियति ने सत्यवीर उसे माना मेरी पलकों और नींदों का रहा हमेशा ब...

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हार जीत परिणाम समर का नही वीरता का पैमाना निश्छल जिसने युद्ध लड़ा नियति ने सत्यवीर उसे माना मेरी पलकों और नींदों का रहा हमेशा ब...
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रात की बाहों में भटके, चांद अपनी नींद ढूंढे। याचक बनी प्यासी धरा, मेघों में शीतल बूंद ढूंढे। पुष्प ढूंढे एक भ्रमर जो, प्रेम का निश्छल पुजारी...
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अंतर्मन के भावों ने यूं शब्दों का आकार लिया क्यूं। तोड़ हृदय के तटबंधों को, बह जाना स्वीकार किया क्यूं।। जब तक थे अनकहे ये मन में सम्मानित थ...