वही बाल पन सा निश्छल मन।
वही महक दे प्यारी सी। ।
ऐ जीवन तू एक पल दे दे ।
भोर उसी फुलवारी की । ।
कहीं कोई एक शाखा दे दे ।
उन पेड़ों से विनती कर । ।
जिनपर झूली थी तरुणाई ।
आशाओं के पेंग बढ़ाकर । ।
"काव्याँश"
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