हज़ारों फूल बिना मौसम के ही खिलने लगे,
किसीने ख्वाब में आवाज़ दी हम नींद में चलने लगे...
सूनी सी डगर जिसमे न कोई साथ न साया,
एक बिजली सी चमकी दीप फिर जलने लगे..
जिनको दूर रखा था तूफानों के दर से,
वही मांझी बने कश्ती के और साथ चलने लगे..
दिल ने फिर से धड़कनो का हाथ थामा,
हज़ारों स्वप्न फिर से आँख में पलने लगे।
"काव्याँश "
Thousands of flowers started blooming without any season,
Someone gave a voice in the dream, we started walking in sleep with no reason...
A deserted road in which no one is with you,
A light shining lamp started burning again..
Those who were kept away from the reach of storms,
The same became the boatmen and started walking along with...
Heart again held the hand of heart beats,
Thousands of dreams started blooming again in the eyes.
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