मैं भी स्वप्न कोई देखूं ,
मुझे बस नींद तो आए..
उसे सांसों में महकाऊं,
मुझे बस सांस तो आए..
पथरीली डगर में हूं,
अनजाने सफर में हूं..
उजाले रूठ बैठे हैं ,
अंधेरों की नजर में हूं..
जगमग है ये काली रात,
जिसकी जगमगाहट से..
जिसे जी भर निहारू मैं,
कभी वो चांद तो आए..
ये कहता है मन मेरा,
ये सपनो का चमन मेरा..
संग अपने बिताऊँ मैं,
जिसे अपनी सुनाऊं मैं..
जिसे मैं साथ में पाऊं,
कभी वो शाम तो आए..
"काव्यांश "
I can also dream something,
I just got sleep..
smell that in my breath,
I just got breath..
I'm in a rocky road
I am in an unknown journey..
The light is in anger, going away,
I am in the eyes of the dark..
This dark night is shining,
with whose sparkle..
whom I look at all my life,
Sometimes, that moon comes..
It says my mind
This is my dream..
I will spend with myself,
to whom I will tell myself..
with whom I can find,
Sometimes that evening may came to me..
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