मैं दीप जलाया करता हूं
काव्य सदैव से ही मानव के अंतर्मन से उमड़ने वाले भावों, संवेदनाओं और व्यथा को प्रकट करने , समझने का एक अनुपम माध्यम रहा है।काव्य की व्यापकता हर्ष में, विषाद में, प्रेम में, मिलन और बिछोह में, मित्रता और शत्रुता में, विस्तृत है। सभी प्रकार के मनभावों में काव्य प्रस्फुटित होकर हृदय को आलोकित कर देता है। इन उदगारों का हाथ थामकर जो कुछ भी कलम, कागज से मिलकर सृजित करती है उसे साझा करने का एक प्रयास है: अंतर्मन की कविता काव्य संग्रह।। "काव्याँश"
गुरुवार, 31 मार्च 2022
मैं दीप जलाया करता हूं, I light a lamp
मैं दीप जलाया करता हूं
बूंद बारिश की, A drop of rain
ये मोती हैं बरसों से किसी सीपी को तरसे हैं।।
घटाओं ने किया बेघर जिन्हे अपने घराने से।
चमकती थी बादलों में अजनबी अब ठिकाने से।।❤
"काव्याँश "
Save a drop of rain, someone's tears have rained.
These are pearls , have been craving for a shell since years.
Those who are homeless by the clouds...
used to shine in the clouds, now
strangers from their whereabouts.
बचपन, CHILDHOOD
महल रेतों के बनते थे हमारी भी हथेली से
मंगलवार, 29 मार्च 2022
रास्ते और तनहाई, WAYS AND LONELINESS
रास्ते भी चाहते है पल यहां तन्हाहियो के ...
वे भी आजिज आ चुके हैं धूप और परछाइयों से ..
जाने कितने पैरों ने अपने बोझ से इनको दबाया..
इनकी पीड़ा को जो समझे कोई मुसाफिर ऐसा न आया ।
❤ कैलाश सती "काव्याँश"
Ways are also wanted moments for loneliness...
They too are fed up with the sun and shadows..
how many feet pressed them with their burden..
No traveler, who understood their pain, came like this..
रविवार, 27 मार्च 2022
रातें , NIGHTS
चले जो साथ तेरे गर , कोई साया अंधेरे में..
उसे पलकों पे रख लेना, किसी रौशन सवेरे में.
नही संगदिल हमेशा ही, होती स्याह रातें ये..
अक्सर बांटती हैं दर्द ,उनकी आह रातें ये..
कैलास "काव्यांश
Walk with it, if there is any shadow in the dark..
Keep it on the eyelids, in a bright morning.
these are dark nights but not always heartless..
Often they share the pain, their sighs, these nights....
अंतर्मन , INNER
अंतर्मन के भावों ने यूं शब्दों का आकार लिया क्यूं।
तोड़ हृदय के तटबंधों को, बह जाना स्वीकार किया क्यूं।।
जब तक थे अनकहे ये मन में सम्मानित थे अभिमानित थे।
अपनी ही मर्यादा लांघी, और अपना ही व्यापार किया क्यूं।।
कैलास "काव्यांश"
Why did the feelings of the inner take the shape of words in this way?
Broke the embankments of the heart, accepted it to be washed away.
As long as they were untold, they were honored in the mind.
why did they cross their own limits and did their own business.
kavita...कविता
हार जीत परिणाम समर का नही वीरता का पैमाना निश्छल जिसने युद्ध लड़ा नियति ने सत्यवीर उसे माना मेरी पलकों और नींदों का रहा हमेशा ब...
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मन के अथाह सागर की, गहराई कब नापेंगे। मोती कितनी दूर अभी है, डूबेंगे तब जानेंगे। कई कश्तियां देखीं खोयीं, तट पर रहते रहते हमने। ...
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व्योम की गोद में चांद की राह है । क्षितिज के पार तक पहुंचना चाह है।। युग युगों से यूं ही अथक चलता रहा। मिलन की आस में हृदय जलता रहा ।। ऋण ल...
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अंतर्मन के भावों ने यूं शब्दों का आकार लिया क्यूं। तोड़ हृदय के तटबंधों को, बह जाना स्वीकार किया क्यूं।। जब तक थे अनकहे ये मन में सम्मानित थ...