मैं दीप जलाया करता हूं
मैं पुष्प चढ़ाया करता हूं।
अंतर्मन के भावों का
संगीत सुनाया करता हूं ।।
जीवन है सरिता का मृदु जल ,
हर पल बहता रहता है।
लहरों के आवेगों से
आलिंगन करता रहता है ।।
जीवन सरिता के जल से
मैं प्यास बुझाया करता हूं ।
मैं दीप जलाया करता हूं
मैं पुष्प चढ़ाया करता हूं।।
मेरे असफल प्रयासों की
बलिवेदी का तट ये जीवन
मेरे अगणित उत्साहों के
पतझड़ का घट ये पूरा उपवन।
इस पतझड़ से तिनके लेकर
मैं महल बनाया करता हूं।
मैं दीप जलाया करता हूं।
मैं पुष्प चढ़ाया करता हूं ।
"काव्यांश"
I light a lamp, I offer flowers.
I play the music of inner feelings.
Life is the sweet water of river, it flows every moment.
Keeps embracing by the impulses of the waves.
I quench my thirst with the water of the stream of life.
I light a lamp, I offer flowers.
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