शनिवार, 2 अप्रैल 2022

कोई भी तो नहीं है साथ...There is no one accompanied


कोई भी तो नहीं है साथ इन सूनी सी राहों में,

जो आँखों ने देखा था शायद ख्वाब देखा था..
 
किसीका भी नहीं दीदार इन प्यासी निगाहों में ,

भ्रम का जाल था वो बस जो एक रात देखा था। 

जिन रिश्तों को पलकों पर बिठाया फूल के जैसे ,

बुलबुले थे वे पानी के जिनमे संसार देखा था। 


There is no one accompanied in these deserted roads,

The eyes that had seen had probably dreamed..

No one is seen in these thirsty eyes,

The web of confusion was just what  had seen one night.

The relationships that were placed on the eyelids like a flower,

They were bubbles of the water in which the world was seen.





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