व्योम की गोद में चांद की राह है ।
क्षितिज के पार तक पहुंचना चाह है।।
युग युगों से यूं ही अथक चलता रहा।
मिलन की आस में हृदय जलता रहा ।।
ऋण लिए सूर्य से रौशनी के लिए ।
जाने कितने पथिक पथ प्रकाशित किए ।।
तू है अपयश का बिंब या प्रतीक प्रेम का ।
तू प्रकाश चाहता या अंधकार रैन का ।।
है बड़ा ही कठिन समझना चांद को ।
रूप के इस मीत को तुम नया नाम दो।।.
"काव्यांश,"
In the lap of sky, lies the path of the moon.
Want to reach beyond the horizon.
It has been going on tirelessly since ages.
The heart kept burning in the hope of meeting soon.
Took a debt for the light from the sun.
how many paths have been enlighten.
Are you the symbol of blame or the symbol of love.
Do you want light or you love darkness.
It is very difficult to understand the moon.
You give a new name to the beauty of this form.
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