जो भी अब तक मिला सफर में,
आँखों में बरसात लिये ।
उसपर अपनी हंसी लुटाकर ,
कितने ही सौगात दिए ।
सीख न पाया अब तक लेकिन,
अपना भाव छुपाना।
इसीलिए उपहास उड़ाता,
रहता आज जमाना ।
पर मैं अपनी मस्ती लेकर,
जग को ये दिखलाता हूँ ।
भिक्षा में भी खुशी मिले तो,
उसको भी अपनाता हूँ।
"काव्याँश "
Whoever accompanied so far in the journey
having rain in their eyes,
I sacrificed the laugh on them
gifted more feelings of skies
but haven't learned yet
how to hide own pain
that's why the world ridicules
today..
But I take my fun
showing this to the world
If I find happiness even in alms,
follow that too..
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