बुधवार, 6 जुलाई 2022

यूं ही उलझा रहे ये मन ...May this mind just keep getting confused..


यूं ही उलझा रहे ये मन , यही जीवन की सुलझन है।
जवानी स्वप्न बचपन का ,बचपन का जवानी है।
हंसती हैं जो आखें, बाहर मुस्कुराती हैं।
कभी जो झांक कर देखो, उनके अंदर भी पानी है।
मचलते ख्वाब रातों में, जो पलकों में पलते हैं
सुबह जब नींद खुलती है, अलग उनकी कहानी है।
भले चुपचाप बहती है नदी खामोश दिखती है।
अगर गहरे उतर जाओ, उसके भीतर रवानी है।
यूं ही उलझा रहे ये मन, यही जीवन की 
सुलझन है।
जवानी स्वप्न बचपन का, बचपन का जवानी है।

"काव्याँश"



May this mind  just keep getting confused, 
this is the solution of life.
 Youth is the dream of childhood,  childhood is the dream for youth.
 The eyes that laugh, smile outside; if you ever look, there is water inside.
 The dreaming nights that grow in the eyelids,
When wake up in the morning, their  story is different. 
Even though it flows silently, the river looks silent. If you go deep, there is a strong flow within it. 
May this mind  just keep getting confused, 
this is the solution of life.
 Youth is the dream of childhood,  childhood is the dream for youth.





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