काव्य सदैव से ही मानव के अंतर्मन से उमड़ने वाले भावों, संवेदनाओं और व्यथा को प्रकट करने , समझने का एक अनुपम माध्यम रहा है।काव्य की व्यापकता हर्ष में, विषाद में, प्रेम में, मिलन और बिछोह में, मित्रता और शत्रुता में, विस्तृत है। सभी प्रकार के मनभावों में काव्य प्रस्फुटित होकर हृदय को आलोकित कर देता है। इन उदगारों का हाथ थामकर जो कुछ भी कलम, कागज से मिलकर सृजित करती है उसे साझा करने का एक प्रयास है: अंतर्मन की कविता काव्य संग्रह।। "काव्याँश"
रविवार, 24 अप्रैल 2022
रास्ते और मंजिल...paths and destinations
रविवार, 10 अप्रैल 2022
शामें..The evenings
न दिन की धूप की गर्मी , न रातों सी ठिठुरती हैं ।
अजब होती हैं शामें भी, पिघलतीं है न जमतीं हैं ।।
छुड़ाती हैं जब दामन ये दिन के उजालों से ।
उसी पल रात की स्याही भी आँखों में सजातीं हैं ।।
बुनती हैं अधूरे ख्वाब लिखतीं है ये पलकों पर ।
सुनहरी सुबह की उम्मीद ये मन में जगातीं हैं ।।
कोई खोया हुआ चेहरा, कोई जो साथ टूटा हो ।
अपना सा कोई साया या कोई हाथ छूटा हो ।।
सभी जज़्बात इनमे है मधुर अहसास देती है ।
इनमे खास है सब कुछ ये शामें खास होती हैं...
"काव्याँश "
Neither the heat of the sun of the day nor the chills of the night.
Even the evenings are strange, they do not melt or freeze.
When you get rid of it from the light of day.
At that very moment the ink of the night also adorns the eyes.
Weavs, writes unfulfilled dreams, it writes on the eyelids.
They awaken the hope of a golden morning.
A lost face, someone who is broken with.
Some shadow or any hand has been left behind.
All the emotion is there, it gives sweet feeling.
Everything is special in them, these evenings are special...
बुधवार, 6 अप्रैल 2022
ये राही मन...My traveler heart
ये राही मन फिर से मेरा ,
उन गलियों में जाना चाहे ।
जिन गलियों में चलना सीखा ,
उन में फिर खो जाना चाहे ।
ये पग मेरे फिर से ढूंढे ,
उन राहो के पत्थर को ,
जिन पर ठोकर खाकर सम्भला।
सीखा ऊँचा करना सर को ।।
इन नैनो को उन मीतों से ,
फिर मिलने की अभिलाषा,
जिन मीतों से इन्हे मिलाकर ।
सीखी दिल ने प्रेम की भाषा ।।
तोड़ बिखेरे जिन लम्हों ने ,
मन के कोमल जज्बातों को ,
मैं फिर से अब उन्हें पुकारू,
उन दिवसों उन रातों को ।
ये कर मेरे फिर से मचलें ,
छूने को उन फूलों को ।
आहत करने में जिन फूलों ने ,
पीछे छोड़ा शूलों को ।।
उपकार ह्रदय पर उनका भी है ,
छद्म रूप धर जिन मित्रों से ,
मनोभाव छल छलनी मेरा ,
हृदय हुआ जिन कतरों से...
"काव्याँश"
My traveler heart once again,
Would like to go to those streets.
The streets I learned to walk
Want to be lost in them once again.
my steps once again, searching
to those path stones,
I stumbled upon and
Learned to raise my head high.
these eyes desire to see those beloved,
longing to meet them once again,
Heart learned the language of love from them.
The moments that broke,
soft feelings of heart,
I will call them again now,
To those days and nights,
Made me cry again and again..
these palms wish to touch those flowers.
The flowers that hurt, more than thorns.
Leaving the prongs behind.
their gratitude is also on the heart,
friends who disguised themselves, became apart.
सोमवार, 4 अप्रैल 2022
चांद की राह...the path of the moon
व्योम की गोद में चांद की राह है ।
क्षितिज के पार तक पहुंचना चाह है।।
युग युगों से यूं ही अथक चलता रहा।
मिलन की आस में हृदय जलता रहा ।।
ऋण लिए सूर्य से रौशनी के लिए ।
जाने कितने पथिक पथ प्रकाशित किए ।।
तू है अपयश का बिंब या प्रतीक प्रेम का ।
तू प्रकाश चाहता या अंधकार रैन का ।।
है बड़ा ही कठिन समझना चांद को ।
रूप के इस मीत को तुम नया नाम दो।।.
"काव्यांश,"
In the lap of sky, lies the path of the moon.
Want to reach beyond the horizon.
It has been going on tirelessly since ages.
The heart kept burning in the hope of meeting soon.
Took a debt for the light from the sun.
how many paths have been enlighten.
Are you the symbol of blame or the symbol of love.
Do you want light or you love darkness.
It is very difficult to understand the moon.
You give a new name to the beauty of this form.
रविवार, 3 अप्रैल 2022
अगर कविता न लिख पाया. ..If I can not write poem.
बिखर जाऊंगा शब्दों में ,अगर कविता न लिख पाया ।
मुझे आंसू भी कोसेंगे ,उन्हें सरिता न लिख पाया ।।
हर टूटे हुए मन की चुभन को जानता हूं मैं।
कलम तू जानती सब है किसे क्या मानता हूं मैं...
"काव्याँश"
I will be scattered in words, if I can not write poem.
I would even cursed by tears, if I could not write them as rivers.
I know the prick of every broken heart.
my pen ,you know everything what I believe...
जीवन ये महकाना....fragrance my life .
दिन में धूप बन जाना रात सपनो मे आ जाना /अंतर्मन के अम्बर में घटा बन के छा जाना //पराये बन के रूठें जो अगर मेरे जो अपने हैं /छुड़ा कर हाथ ग़ैरों का तुम अपनों में आ जाना //तुम पत्थर बनो चाहे या फिर फूल बन जाना /मुझको ठोकरें देना या जीवन ये महकाना //
Do become sunny during the day,
Do come to dreams at night.
Do become a cloud in the sky of conscience.
Be angry as a stranger who is my own,
Redeem your hands and come to your loved ones ,
Whether you become a stone or become a flower,
stumble me or fragrance my life .
शनिवार, 2 अप्रैल 2022
कोई भी तो नहीं है साथ...There is no one accompanied
kavita...कविता
हार जीत परिणाम समर का नही वीरता का पैमाना निश्छल जिसने युद्ध लड़ा नियति ने सत्यवीर उसे माना मेरी पलकों और नींदों का रहा हमेशा ब...
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मन के अथाह सागर की, गहराई कब नापेंगे। मोती कितनी दूर अभी है, डूबेंगे तब जानेंगे। कई कश्तियां देखीं खोयीं, तट पर रहते रहते हमने। ...
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व्योम की गोद में चांद की राह है । क्षितिज के पार तक पहुंचना चाह है।। युग युगों से यूं ही अथक चलता रहा। मिलन की आस में हृदय जलता रहा ।। ऋण ल...
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अंतर्मन के भावों ने यूं शब्दों का आकार लिया क्यूं। तोड़ हृदय के तटबंधों को, बह जाना स्वीकार किया क्यूं।। जब तक थे अनकहे ये मन में सम्मानित थ...