रविवार, 3 अप्रैल 2022

जीवन ये महकाना....fragrance my life .



दिन में धूप बन जाना रात सपनो मे आ जाना /

अंतर्मन के अम्बर में घटा बन के छा जाना //

पराये बन के रूठें जो अगर मेरे जो अपने हैं /

छुड़ा कर हाथ ग़ैरों का तुम अपनों में आ जाना //

तुम पत्थर बनो चाहे या फिर फूल बन जाना /

मुझको ठोकरें देना या जीवन ये महकाना //


 Do become sunny during the day, 

Do come to dreams at night.

Do become  a cloud in the sky of conscience.

Be angry as a stranger who is my own,

Redeem your hands and come to your loved ones ,

Whether you become a stone or become a flower,

stumble me or fragrance my  life .


 

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