गुरुवार, 23 जून 2022

मृगतृष्णा ..The mirage




जीवन की मृगतृष्णा ने,आभास दिया शीतल जल का।
प्यास सदा रही अधरों पर, भटका हर कौना मरुथल का।।
प्यासा मन प्यासा ये जीवन, एक एक बूंद पीने को तरसे।
कभी कोई हो सावन ऐसा, तन मन भीगे झूम के बरसे।।




"काव्याँश"

The mirage of life gave the impression of cold water.

Thirst was always on the lips, wandered every corner of the desert.

The thirsty mind is thirsty, this life is thirsty to drink every drop.

If there is ever a rainy season like this, heart and body will get  wet.

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