तुझे ऐ जिंदगी हमने, खुली बाहों से अपनाया।
तेरे हर सितम को भी, सर आंखों पे बिठलाया।।
जहां रोने का जी करता ,वहां भी मुस्कुराए हम।
अंधेरों ने जिसे छोड़ा, बने उसके भी साए हम ।।
हमने राह भूली हैं, मंजिलों से नही शिकवा ।
हर मील के पत्थर का, झुक कर ही किया सजदा।।
गुज़ारिश है यही तुझसे ,रहे अंदाज ये अपना।
हकीकत जो हो जैसी हो ,पलकों पर सजे सपना।।
"
काव्याँश"
We adopted you, O life, with open arms.
Your every injustice too, we respected and honoured.
Wherever we have to cry, we smile there too.
We became the shadow of the one whom the darkness left.
We have forgotten the path, did not complain the destinations.
Every milestone was bowed down and prostrated.
This is the request to you,
Whatever the reality is, a dream adorned on the eyelids.
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