शनिवार, 3 सितंबर 2022

kavita...कविता

हार जीत परिणाम समर का
नही वीरता का पैमाना
निश्छल जिसने युद्ध लड़ा
नियति ने सत्यवीर उसे माना
मेरी पलकों और नींदों का 
रहा हमेशा बैर पुराना
किंतु कभी भी इन आंखों ने 
छोड़ा ना कोई स्वप्न सुहाना...


काव्याँश 

Defeat and win are the result of war,
  not the measurements of bravery..
 the innocent who fought the war, 
Destiny accepts it as true worrier..
 my eyelids and sleeps always hated each other,
 But these eyes never forgot to see any pleasant dream..

शनिवार, 20 अगस्त 2022

hindi kavita ...सरोवर में तेरी आँखों के


सरोवर में तेरी आँखों के, 
कमल बन कर के खिल जाऊँ। 
तेरे अश्कों के मोती में ,
बन कर बूँद मिल जाऊँ। 
नहीं किस्मत में सब कलियों  की  ,
बन कर फूल मुस्काएं 
मगर चाहत का फिर भी हक़ ,
कि वे मन में न रह जाएँ। 

"काव्याँश "

 In the lake of Your eyes,
let me blossom like a lotus.
In the pearl of your tears,
let me become a drop and get in it.
though all buds are not fortunate
to become  flowers and spread smiles
But still this is the right of desires,
that they should not remain in the heart.
 

बुधवार, 20 जुलाई 2022

english hindipoetryहिंदीकविता कभी मायूस करती है

कभी मायूस करती है ,
कभी सपने दिखाती है 
कभी तू रूठ कर कौने में,
 गालों को फूलाती है। 
 तेरे क़दमों की आहट, 
धड़कनों को बढाती है। 
तू क्यों जिंदगी मुझको, 
अभी भी आजमाती है 
गुजारे है बहुत लम्हे ,
हमने इम्तिहानो के 
फैसलों का जो आया वक्त ,
नतीजे क्यों छुपाती है 
अजब है  जिंदगी तू  भी,
 अजब अंदाज़ है तेरा 
कल जिस हाल पे हँसते थे,
 वही अब आज है मेरा 

"काव्याँश " 
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"

sometimes you  make me sad,

Sometimes you take  me to  dreams.

sometimes you get angry,

you puff up the cheeks 

at the corner.

The sound of your footsteps,

Increases heartbeat.

O life, why do you still

checking my patience.

we have spent many moments

in the exam of your's,

The time for decisions has come,

Why do you hide the results?

Wonderful life, you have a wonderful idea.

The circs on , you used to laugh yesterday,

  That's mine now from that way..


मंगलवार, 19 जुलाई 2022

Kavita hindi poetry रात की बाहों में,in the arms of night

रात की बाहों में भटके,
चांद अपनी नींद ढूंढे।
याचक बनी प्यासी धरा,
मेघों में शीतल बूंद ढूंढे।
पुष्प ढूंढे एक भ्रमर जो,
प्रेम का निश्छल पुजारी।
पथिक खोजे गंतव्य तक की,
एक सुहानी राह प्यारी।


"काव्याँश"

Wandered in the arms of the night,
the moon finds its sleep.
The  thirsty earth became beggar,
To get cool drops from the clouds.
flower searches a bumblebee,
the pure priest of love.
Wanderer searches a lovely path,
Till the destination achieves..


बुधवार, 6 जुलाई 2022

shayari kavita in hindi धरा ये जहां पर गगन चूमती है

रा ये जहां पर गगन चूमती है।
वो खुश्बू बिखेरे पवन झूमती है।।
है जीवन यहीं पर बाहें पसारे।
कहां खो गए तुम ये तुमको पुकारे।।
नदियों के जल का मधुर गीत सुन लो।
कोई गीत तुम भी मेरे मीत बुन लो।।




This land is where the sky kisses,
The wind swings with its fragrance.
 Life is here, spreading her arms.
Where are you lost, O my friend?
Listen to the melodious song of the rivers.
You should also weave a song for them.


"काव्यांश"


यूं ही उलझा रहे ये मन ...May this mind just keep getting confused..


यूं ही उलझा रहे ये मन , यही जीवन की सुलझन है।
जवानी स्वप्न बचपन का ,बचपन का जवानी है।
हंसती हैं जो आखें, बाहर मुस्कुराती हैं।
कभी जो झांक कर देखो, उनके अंदर भी पानी है।
मचलते ख्वाब रातों में, जो पलकों में पलते हैं
सुबह जब नींद खुलती है, अलग उनकी कहानी है।
भले चुपचाप बहती है नदी खामोश दिखती है।
अगर गहरे उतर जाओ, उसके भीतर रवानी है।
यूं ही उलझा रहे ये मन, यही जीवन की 
सुलझन है।
जवानी स्वप्न बचपन का, बचपन का जवानी है।

"काव्याँश"



May this mind  just keep getting confused, 
this is the solution of life.
 Youth is the dream of childhood,  childhood is the dream for youth.
 The eyes that laugh, smile outside; if you ever look, there is water inside.
 The dreaming nights that grow in the eyelids,
When wake up in the morning, their  story is different. 
Even though it flows silently, the river looks silent. If you go deep, there is a strong flow within it. 
May this mind  just keep getting confused, 
this is the solution of life.
 Youth is the dream of childhood,  childhood is the dream for youth.





जो भी अब तक मिला सफर में ....Whoever accompanied so far.



जो भी अब तक मिला सफर में, 
आँखों में बरसात लिये ।
उसपर अपनी हंसी लुटाकर ,
कितने ही सौगात दिए ।
सीख न पाया अब तक लेकिन,
अपना भाव छुपाना। 
इसीलिए उपहास उड़ाता,
रहता आज जमाना ।
पर मैं अपनी मस्ती  लेकर,
जग को ये दिखलाता हूँ ।
भिक्षा में भी खुशी  मिले तो,
उसको भी अपनाता हूँ।
"काव्याँश "
 
 
Whoever accompanied so far in the journey
having rain in  their eyes,
I sacrificed the laugh on them
gifted more feelings of skies
but haven't learned yet 
how to hide own pain
that's why the world ridicules
today..
But I take my fun
showing this to the world
If I find happiness even in alms,
follow that too..


 

बारिश की बूंदो के जैसी ....Like rain drops

बारिश की बूंदो के जैसी 
किसी भी सावन आना तुम 
फूलों सी मुस्कान बिखेरे 
मन उपवन छा जाना तुम 
मेरा तो प्रारब्ध यही है 
पाकर मैं खो, देता सब कुछ 
जीवन की भूल भुलैया में ,
फिर किसी डगर मिल जाना तुम. 

"काव्याँश "








Like rain drops 
Any season  come to me,
scatter smiles, like flowers. 
and cover the garden of heart..
That's my destiny,
I find everything,
 I loose everything. 
but In the meander of life,
you appear and meet on  any maze path . 


 

मंगलवार, 5 जुलाई 2022

रात सुलाता, सुबह जगाता....You make us sleep at night

 रात सुलाता, सुबह जगाता। 
तू ही जग में रास रचाता। 
माटी के सारे खेल खिलौने,
माटी से जोड़ा सबका नाता। 
इतनी ही तेरी दुनिया तो,
दीप नयन के दिए क्यों सबको। 
रंग बिरंगे पुष्प खिलाये ,
हर उपवन हर डाली पर। 
पतझड़ ने जब आना ही है, 
दिन यौवन के दिए क्यों इसको?
महल बने, या कुटिया सब मे, 
दुःख की सुख से अमिट है यारी ।
ऐसा तेरा प्यार अश्रु से ,
मौसम सावन के दिए क्यों मुझको ?

"काव्याँश


You make us sleep at night, 
you make us awake in the morning. 
You are the one who creates joy in the world. 
All the game- toys are of soil,
The relationship of all connected with soil. 
if that's your world,
why did you give eye-lamp to everyone? 
you feed colorful flowers,
on every garden on each branch
When the fall has to come, 
Why did you give it the day of youth?
A palace, or a hut, all in all, 
The friendship of joy and sorrow is indelible.
So your love is with tears,
Why did  you give the rain to me?

सोमवार, 4 जुलाई 2022

वही बाल पन सा निश्छल मन..The same childish mind.

 वही  बाल पन सा निश्छल  मन। 
वही महक दे प्यारी सी। ।  
ऐ जीवन तू एक पल दे दे । 
भोर उसी फुलवारी की । । 
कहीं कोई एक शाखा दे दे  ।
उन पेड़ों से विनती कर । । 
जिनपर झूली थी तरुणाई । 
आशाओं के पेंग बढ़ाकर  । । 

"काव्याँश" 



The same childish mind. 
Give that  sweet smell .  
O life, give me a moment. 
In the morning of the same garden . 
Give a branch somewhere,
Beg those trees. 
On which adolescence used  to  swing, 
By increasing the jumps of hopes.

सोमवार, 27 जून 2022

आसमां सौगात में....gift me the heaven.


 तकदीर ने तो चाहा था, दे आसमां सौगात में।

कसूर मेरे दामन का था, जो छोटा पड़ गया....


"काव्याँश "

Destiny had desired it, to gift me the heaven.

The fault was of my arm, which fell short.

पलकों पर सजे सपना .....a dream adorned on the eyelids.

 तुझे ऐ जिंदगी हमने, खुली बाहों से अपनाया।

तेरे हर सितम को भी, सर आंखों पे बिठलाया।।

 जहां रोने का जी  करता ,वहां भी मुस्कुराए हम।

 अंधेरों ने जिसे छोड़ा, बने उसके भी साए हम ।।

हमने राह भूली हैं, मंजिलों से नही शिकवा ।

हर मील के पत्थर का, झुक कर ही किया सजदा।।

गुज़ारिश है यही तुझसे ,रहे अंदाज ये अपना।

 हकीकत जो हो जैसी हो ,पलकों पर सजे सपना।।

"


काव्याँश"

We adopted you, O life, with open arms.


Your every injustice  too, we respected and  honoured.


  Wherever we have to cry, we smile there too.


  We became the shadow of the one whom the darkness left.


We have forgotten the path, did not complain the destinations.


Every milestone was bowed down and prostrated.


This is the request to you, 


  Whatever the reality is, a dream adorned on the eyelids.









शनिवार, 25 जून 2022

मन के अथाह सागर की....Of the bottomless ocean of the heart


मन के अथाह सागर की,
गहराई कब नापेंगे।
मोती कितनी दूर अभी है,
डूबेंगे तब जानेंगे।
कई कश्तियां देखीं खोयीं,
तट पर रहते रहते हमने।
कांटों के भी दर्द सहे हैं,
यूं ही हंसते हंसते हमने।
अब सम्मुख है सावन भी ,
तो तूफानों ने आना फिर है।
पर लाख करे पतझड़ कोशिश ,
तो भी फूलों ने मुस्काना फिर है।

"काव्याँश"

Of the bottomless ocean of the heart,
When will you measure the depth?

How far is the pearl now,
You will know when you drown.

Saw many boats lost,
 staying on the beach.

Even the pain of thorns has been endured,
We just laughed.

Now the rain is in front too,
So the storms have to come again.

But making a million efforts by the fall,
Even so, the flowers have to smile again.

शुक्रवार, 24 जून 2022

कौन सुनेगा कविताओं को...Who will listen to the poems?

ह्रदय संवेदनशून्य सभी हैं ।
इस पाषाण धरातल में।।
कौन सुनेगा कविताओं को ।
इस भीषण कोलाहल में।।
मुख रात्रि का खिल जाता है ।
शीतल चंद्र किरण चुंबन से।।
तुषार अश्रु भी धरती पोंछे।
 जो छलके विशाल गगन से।।
भंवरो ने अपनी गुंजन से ।
हर एक सुमन को महकाया।।
झरनो ने भी गीत से अपने।
 निर्जन वन को हर्षाया।।
पर कौन चुनेगा आंसू ऐसे ।
टूटे अरमानों के दिल में।।
व्यथित हृदय के उदगारों को।
कौन सुनेगा नभ जल थल में।।
कौन सुनेगा कविताओं को ।
इस भीषण कोलाहल में।।

"काव्याँश "
Hearts are all insensitive,
In this stone surface.

Who will listen to the poems?
In this fierce turmoil.

The face blooms of night,
With a soft moon ray kiss.

Even tearful tears wipe the earth.
 Which spilled from the vast sky.

bumblebees with their hum,
fragrances every single flower.

waterfalls  also sang their songs,
 and delighted the deserted forest.

But who will choose tears like this?
In the heart of broken dreams.

To the words of a troubled heart,
Who will listen in the land, air and water?

Who will listen to the poems?
In this fierce turmoil.

कभी छत पर कभी कौने में...Sometimes on the roof


कभी छत पर कभी कौने में,
कभी तकिए की नरमी में।
छुपा रख लो खुशी के पल,
कभी सूरज की गर्मी में।
मिलेंगे अब बहुत मुश्किल,
कहें जो हाल बतलाना।
कभी बारिश की रिमझिम से,
कभी फूलों से बतियाना।
कभी बस आईने में देख,
खुद को मुस्कुरा देना।
"काव्याँश"

Sometimes on the roof, sometimes in the corner,
Sometimes in the softness of a pillow.
Hide the happy moments,
Sometimes in the heat of the sun.

It's very difficult to meet now,
to ask how  are you doing.

Sometimes with a drizzle of rain,
Sometimes talking with flowers.
Sometimes just look in the mirror,
Make yourself smile...

मुस्कुराता हूं जहां मैं....where I smile

मुस्कुराता हूं जहां मैं.
गीत गाता हूं जहां मैं..
उस जहां में मुस्कुराना.
गीत गाना व्यर्थ है..
हां,अगर जो अश्रु निकलें.
तोड़कर पलकों के बंधन..
हैं कई बाजार सजते.
बेचते नैनों के सावन ..

"काव्याँश"

where I smile ,
where I sing a song ,
in that world, smiling and
Singing a song is pointless..
Yes, if those tears come out.
by breaking the bond of the eyelids..
There are many markets adorning..
Selling eye's water..

गुरुवार, 23 जून 2022

समझने और समझाने में..To understand and explain

समझने और समझाने में ,बीते दिन कई रातें।
न हम समझे ना कोई और समझ पाया सभी बातें।।
भवर में, पर कभी जब भी डोली नाव थमीं सांसे।
मांझी तैर कर निकला, लहरों ने रखीं आसे।।

"काव्याँश "


To understand and explain, passed many nights and days.
Neither we understood nor anyone else could understand everything.
 but in the midstream
 whenever the boat stopped, breath was held.
The boatman swam out, the waves kept alive.

मृगतृष्णा ..The mirage




जीवन की मृगतृष्णा ने,आभास दिया शीतल जल का।
प्यास सदा रही अधरों पर, भटका हर कौना मरुथल का।।
प्यासा मन प्यासा ये जीवन, एक एक बूंद पीने को तरसे।
कभी कोई हो सावन ऐसा, तन मन भीगे झूम के बरसे।।




"काव्याँश"

The mirage of life gave the impression of cold water.

Thirst was always on the lips, wandered every corner of the desert.

The thirsty mind is thirsty, this life is thirsty to drink every drop.

If there is ever a rainy season like this, heart and body will get  wet.

बुधवार, 22 जून 2022

चांद... the moon

 हँसने को यहां खुशियां समझते हैं ज़माने में ..

जिसे आंसू नहीं हासिल उसे क्या मुस्कुराने में


..

 कभी एक रात भर तू देख इस चंदा की फितरत को..

 चलता है अंधेरे में चमक देता है कुदरत को..

"काव्याँश"


Laughing is considered to be happiness here in the time..


What's in smiling to the one who doesn't get tears?


  Sometimes, you see the nature of this moon for an entire night..


  It walks in the dark, gives glow to the nature, and makes it bright.







आशाओं की मुस्कान....Smiles of hopes

आशाओं की मुस्कानों को ।
अधरों पर तुम बुनते रहना।।
नैनो के अपने सागर में ।
खुशी के मोती चुनते रहना।।
बहुत मिलेंगे इस जीवन में।
भावों को छलनी करने वाले।।
सुख में कदम मिलाने वाले।
 दुख में हाथ छुड़ाने वाले।।
रहना अडिग अविचल अटल ।
तुम मन की लेकर निष्छलता को।।
सींचे रखना एक कौने में ।
तरुणायी की चंचलता को।।
सभी पथिक हैं जीवन पथ के ।
सबके अपने ठौर ठिकाने।।
शाम कहीं कोई डेरा डाले ।
कहां चले फिर सुबह ना जाने।।


"काव्यांश"

Smiles of hopes,
You keep knitting on the lips.

In the ocean of your eyes,
Keep choosing pearls of happiness.

You will meet many in this life.
Emotions sieve.

Those who step into happiness.
 Redeemer hands in sorrow.

Remain unshakable, unshakable.
You take carelessness of the mind.

Keep irrigating  in one place,
to the fickleness of the young child.

All are wanderers of the path of life.
everyone has Everyone's place.

Somebody camp in the evening.
Where do they go then in the morning ,..

मैं भी स्वप्न कोई देखूं ... I can also dream something

 
मैं भी स्वप्न कोई देखूं ,
मुझे बस नींद तो आए..
उसे सांसों में महकाऊं,
मुझे बस सांस तो आए..
पथरीली डगर में हूं,
अनजाने सफर में हूं..
उजाले रूठ बैठे हैं ,
अंधेरों की नजर में हूं..
जगमग है ये काली रात,
 जिसकी जगमगाहट से..
जिसे जी भर निहारू मैं,
 कभी वो चांद तो आए..
ये कहता है मन मेरा,
ये सपनो का चमन मेरा..
संग अपने बिताऊँ मैं,
जिसे अपनी सुनाऊं मैं..
जिसे मैं साथ में पाऊं,
 कभी वो शाम तो आए..

"काव्यांश "


I can also dream something,
I just got sleep..
smell that in my breath,
I just got breath..
I'm in a rocky road
I am in an unknown journey..
The light is in anger, going away,
I am in the eyes of the dark..
This dark night is shining,
with whose sparkle..
whom I look at all my life, 
Sometimes, that moon comes..
It says my mind
This is my dream..
I will spend with myself,
to whom I will tell myself..
with whom I can find,
 Sometimes that evening may came to me..

रविवार, 1 मई 2022

हज़ारों फूल बिना मौसम के ही खिलने लगे..thousands of flowers started blooming

हज़ारों फूल बिना मौसम के ही खिलने लगे,

किसीने ख्वाब में आवाज़ दी  हम नींद में चलने लगे...  
सूनी सी डगर जिसमे न कोई साथ न   साया, 
एक बिजली सी चमकी दीप फिर जलने लगे..   
जिनको दूर रखा था तूफानों के दर से,  
वही मांझी बने  कश्ती के और साथ चलने लगे.. 
दिल ने  फिर से धड़कनो का हाथ थामा, 
हज़ारों स्वप्न फिर से   आँख  में पलने लगे।  

"काव्याँश "

Thousands of flowers started blooming without any season,

Someone gave a voice in the dream, we started walking in sleep with no reason...

A deserted road in which no one is with you,

A light shining lamp started burning again..

Those who were kept away from the reach of storms,

The same became the boatmen and started walking along with...

Heart again held the hand of heart beats,

Thousands of dreams started blooming again in the eyes.
 

जीवन का आधार असीमित....Extension of life is unlimited

                               विस्तृत गगन की  ऊँचाई में, 
अतल सिंधु की गहराई में 
हमने देखा खिलता जीवन,
जीवन की तरुणाई में 
                                नदिया के तट हमें समेटा ,
जीवन ने अपनी बाहों में 
                            कड़ी धूप में जीवन पसरा,
पेड़ की  ठंडी छावों में 
प्रेम सन्निहित मद नैनो में, 
बाल सुलभ मन के  सपनों में 
                             जीवन का आभास हुआ है,
सभी परायों और अपनों में 
जीवन का विस्तार असीमित ,
जीवन का आधार असीमित 
अद्भुत ऐसा मीत ये जीवन ,
जिसका तो है  प्यार असीमित 

"काव्यांश"



 In the height of the vast sky,

In the depths of endless ocean.

We saw blooming life,

In the youth of life.

In  the banks of the river, 

life covered us, in her arms.

 Life spread in the scorching sun
,
In the cool shade of trees.

In love embodied Intoxicating eyes,

In the dreams of a child accessible mind.

life felt, In all strangers and loved ones.

Extension of life is  unlimited,

The life is unlimited.

Wonderful such a sweet life,

Whose love is unlimited.

यादों की पोटली...A bundle of memories


एक पुरानी पुस्तक खोली , 

यादों की पोटली टटोली। 

बरबस ही स्मृति पटल पर,

 बिखरी बचपन की हंसी ठिठोली। 

मिट्टी के वे बने घरौंदे,

 वो सावन में डालों के झूले। 

कोई कैसे इन्हे बिसारे,  

कोई कैसे इनको भूले। 

आशा और निराशा से मन, 

 कोसों दूर रहा  करता था।

बैर घृणा सब अर्थहीन थे ,

प्रेम का दरिया बहा करता था। 

दामन में सारी  खुशियाँ थी,

 आँगन में सारी  दुनियाँ थी। 

शामों की पलकें बोझिल थीं,

सेज थी माँ के आँचल की। 

रहे नहीं वे फुर्सत के लम्हे, 

अब न आलम है बेफिक्री का।

जीवन की इस भाग दौड़ में ,

सवाल रहा है दो रोटी का। 

छूट गए सब संगी साथी,

 छूट गए सब उस दौर के यार।

साथ उन्हीके पीछे छूटे,

 नरम धूप और सावन की फुहार। 

ढूंढे से भी अब नहीं मिलते,

उन बीते लम्हों  के जमाने।  

वे गलियां भी कहीं खो गयीं,

 खोये  जहाँ बचपन के खजाने। ...  

"काव्याँश" 


 

Opened an old book,

A bundle of memories.

Absolutely on the memory board,

 Scattered childhood laughter.

Those houses made of clay,

 Those swings of branches in Monsoon.

How could someone disperse them?

How could anyone forget them?

Heart, with hope and despair,

 used to stay far away.

Hatred, animosity was all meaningless,

The river of love used to flow.

There was all the happiness in arm embrace,

 The whole world was in the courtyard.

Evening eyelids were heavy,

It was the bed of mother's lap.

now there are not those moments of leisure,

Now there is no point of carelessness.

In this rush of life,

The question has been of two time meals.

All the fellow friends left,

 All the friends of that era were missed.

left behind them together,

 Soft sunshine and those rainy days,

Can't find it even after searching.

In those bygone times.

Those streets also got lost somewhere,

 Lost where the treasures of childhood. ,

 

रविवार, 24 अप्रैल 2022

रास्ते और मंजिल...paths and destinations

रास्तों से सब हमेशा ये गिला करते रहे।
हम चले हैं उम्र भर पर वे हमे छलते रहे।।
मंजिलों की दास्तां भी एक अनोखी नज़्म सी।
साज और आवाज बिन वे सुरों में ढलते रहे।।
रास्ते तो हैं हकीकत  मंजिलें बस ख्वाब हैं।
एक तो अपनी जगह हैं, दूसरी एहसास हैं।।

"काव्यांश"



Everyone always kept cursing the paths.

We have walked for a lifetime but they kept deceiving us.

The story of the destinations is also a unique song.

Without the instrument and the voice,

 they kept on getting into the notes.

Paths are reality, destinations are just dreams.

One on its place, the other is a feeling.

रविवार, 10 अप्रैल 2022

शामें..The evenings

न दिन की धूप की गर्मी , न रातों सी ठिठुरती हैं ।

अजब होती हैं शामें भी, पिघलतीं है न जमतीं हैं ।।

छुड़ाती हैं जब दामन ये दिन के उजालों से ।

उसी पल रात की स्याही भी आँखों  में सजातीं हैं ।।

बुनती हैं अधूरे ख्वाब लिखतीं है ये पलकों पर ।

सुनहरी सुबह की उम्मीद ये मन में जगातीं हैं ।।

कोई खोया हुआ चेहरा, कोई जो साथ टूटा हो ।

अपना सा कोई साया या कोई हाथ छूटा हो ।। 

सभी जज़्बात इनमे है मधुर अहसास देती है ।

इनमे खास है सब कुछ ये शामें खास होती हैं...

 

"काव्याँश "


Neither the heat of the sun of the day nor the chills of the night.

Even the evenings are strange, they do not melt or freeze.

When you get rid of it from the light of day.

At that very moment the ink of the night also adorns the eyes.

Weavs, writes unfulfilled dreams, it writes on the eyelids.

They awaken the hope of a golden morning.

A lost face, someone who is broken with.

Some shadow or any hand has been left behind.

All the emotion is there, it gives sweet feeling.

Everything is special in them, these evenings are special...

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

ये राही मन...My traveler heart



ये राही मन   फिर से  मेरा ,

उन  गलियों में   जाना  चाहे ।
जिन गलियों  में   चलना    सीखा , 

उन में   फिर  खो  जाना चाहे ।
ये पग मेरे फिर से ढूंढे  ,

उन राहो  के पत्थर  को  ,
जिन  पर  ठोकर खाकर सम्भला।

 सीखा  ऊँचा करना  सर  को ।।
इन नैनो को उन मीतों   से ,

 फिर मिलने की अभिलाषा,
जिन मीतों से इन्हे मिलाकर ।

सीखी दिल ने प्रेम की भाषा ।।
तोड़ बिखेरे जिन लम्हों ने ,

मन के कोमल जज्बातों को ,
मैं फिर से अब उन्हें पुकारू,

 उन दिवसों उन रातों को ।
ये कर मेरे फिर से मचलें ,

छूने को उन फूलों को ।
आहत करने में जिन फूलों ने ,

पीछे छोड़ा शूलों को ।।
उपकार ह्रदय पर उनका भी है ,

छद्म रूप धर जिन  मित्रों से ,
मनोभाव छल छलनी मेरा ,
हृदय हुआ जिन कतरों से...



"काव्याँश"


  My traveler heart once again,

Would like to go to those streets.

The streets I learned to walk

Want to be lost in them once again.

my steps once  again, searching

to those path stones,

I stumbled upon and

 Learned to raise my head high.

 these eyes desire to see those beloved,

 longing to meet them once again,

Heart learned the language of love from them.

The moments that broke,

soft feelings of heart,

I will call them again now,

 To those days and nights,

Made  me cry again and again..

these palms wish to touch those flowers.

The flowers that hurt, more than thorns.

Leaving the prongs behind.

their  gratitude is also on the heart,

friends who disguised themselves, became apart.









सोमवार, 4 अप्रैल 2022

चांद की राह...the path of the moon


 व्योम की गोद में चांद की राह है ।

क्षितिज के पार तक पहुंचना चाह है।।

युग युगों से यूं ही अथक चलता रहा।

मिलन की आस में हृदय जलता रहा ।।

ऋण लिए सूर्य से रौशनी के लिए ।

जाने कितने पथिक पथ प्रकाशित किए ।।

तू है अपयश का बिंब या  प्रतीक प्रेम का ।

तू प्रकाश  चाहता या अंधकार  रैन  का ।।

है बड़ा ही कठिन समझना  चांद को ।

रूप के इस मीत को तुम नया नाम दो।।.


"काव्यांश,"


In the lap of sky, lies the path of the moon.

Want to reach beyond the horizon.

It has been going on tirelessly since ages.

The heart kept burning in the hope of meeting soon.

Took a debt for the light from the sun.

 how many paths have been enlighten.

 Are you the symbol of blame or the symbol of love.

Do you want light or  you love darkness.

It is very difficult to understand the moon.

You give a new name to the beauty of this form.















रविवार, 3 अप्रैल 2022

अगर कविता न लिख पाया. ..If I can not write poem.


 बिखर जाऊंगा शब्दों में ,अगर कविता न लिख पाया ।

मुझे आंसू भी कोसेंगे ,उन्हें सरिता न लिख पाया ।।

हर टूटे हुए मन की चुभन को जानता हूं मैं।

कलम तू जानती सब है किसे क्या मानता हूं मैं...

"काव्याँश"


I will be scattered in words, if I can not write poem.

I would even cursed by tears, if I could not write them as rivers.

I know the prick of every broken heart.

my pen ,you know everything what I believe...










जीवन ये महकाना....fragrance my life .



दिन में धूप बन जाना रात सपनो मे आ जाना /

अंतर्मन के अम्बर में घटा बन के छा जाना //

पराये बन के रूठें जो अगर मेरे जो अपने हैं /

छुड़ा कर हाथ ग़ैरों का तुम अपनों में आ जाना //

तुम पत्थर बनो चाहे या फिर फूल बन जाना /

मुझको ठोकरें देना या जीवन ये महकाना //


 Do become sunny during the day, 

Do come to dreams at night.

Do become  a cloud in the sky of conscience.

Be angry as a stranger who is my own,

Redeem your hands and come to your loved ones ,

Whether you become a stone or become a flower,

stumble me or fragrance my  life .


 

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

कोई भी तो नहीं है साथ...There is no one accompanied


कोई भी तो नहीं है साथ इन सूनी सी राहों में,

जो आँखों ने देखा था शायद ख्वाब देखा था..
 
किसीका भी नहीं दीदार इन प्यासी निगाहों में ,

भ्रम का जाल था वो बस जो एक रात देखा था। 

जिन रिश्तों को पलकों पर बिठाया फूल के जैसे ,

बुलबुले थे वे पानी के जिनमे संसार देखा था। 


There is no one accompanied in these deserted roads,

The eyes that had seen had probably dreamed..

No one is seen in these thirsty eyes,

The web of confusion was just what  had seen one night.

The relationships that were placed on the eyelids like a flower,

They were bubbles of the water in which the world was seen.





गुरुवार, 31 मार्च 2022

मैं दीप जलाया करता हूं, I light a lamp


 मैं दीप जलाया करता हूं
 मैं पुष्प चढ़ाया करता हूं। 
अंतर्मन के भावों का 
संगीत सुनाया करता हूं ।।
 जीवन है सरिता का मृदु जल , 
हर पल बहता रहता है। 
लहरों के आवेगों से 
आलिंगन करता रहता है ।।
जीवन सरिता के जल से 
मैं प्यास बुझाया करता हूं ।
मैं दीप जलाया करता हूं 
मैं पुष्प चढ़ाया करता हूं।।
मेरे असफल प्रयासों की 
बलिवेदी का तट ये जीवन
मेरे अगणित उत्साहों के
पतझड़ का घट ये पूरा उपवन।
इस पतझड़ से तिनके लेकर
मैं महल बनाया करता हूं।
मैं दीप जलाया करता हूं।
मैं पुष्प चढ़ाया करता हूं ।



"काव्यांश"


I light a lamp, I offer flowers.

I play the music of inner feelings.

Life is the sweet water of river, it flows every moment.

Keeps embracing by the impulses of the waves.

I quench my thirst with the water of the stream of life.

I light a lamp, I offer flowers.

बूंद बारिश की, A drop of rain

सहेजो बूंद बारिश की ,किसी के अश्क बरसे हैं।

ये मोती हैं बरसों से किसी सीपी को तरसे हैं।।

घटाओं ने किया बेघर जिन्हे अपने घराने से।

चमकती थी बादलों में अजनबी अब ठिकाने से।।❤

"काव्याँश "



Save a drop of rain, someone's tears have rained.

These are pearls , have been craving for a shell since years.

Those who are homeless by the clouds...

used to shine in the clouds, now 

strangers from their whereabouts.



 

बचपन, CHILDHOOD


 महल रेतों के बनते थे हमारी भी हथेली से 

कभी ऐसा हुनर भी था हाथों की लकीरों में...

"काव्याँश"

Palaces used to be made of sand, even with our palms.

Once upon a time there was such a skill in the lines of hands...


मंगलवार, 29 मार्च 2022

रास्ते और तनहाई, WAYS AND LONELINESS


 रास्ते भी चाहते है पल यहां तन्हाहियो के ...

वे भी आजिज आ चुके हैं धूप और परछाइयों से ..

जाने कितने पैरों ने अपने बोझ से इनको दबाया..

इनकी पीड़ा को जो समझे कोई मुसाफिर ऐसा न आया ।

❤ कैलाश सती "काव्याँश"


Ways are also wanted moments  for loneliness...

They too are fed up with the sun and shadows..

 how many feet pressed them with their burden..

No traveler, who understood their pain, came like this..








रविवार, 27 मार्च 2022

रातें , NIGHTS


 चले जो साथ तेरे गर , कोई साया अंधेरे में..

उसे पलकों पे रख लेना, किसी रौशन सवेरे में.

नही संगदिल हमेशा ही, होती स्याह रातें ये..

अक्सर बांटती हैं दर्द ,उनकी आह रातें ये..

कैलास "काव्यांश


Walk with it, if there is any shadow in the dark..

Keep it on the eyelids, in a bright morning.

 these are dark nights but not always heartless..

Often they share the pain, their sighs, these nights....

अंतर्मन , INNER


अंतर्मन के भावों ने यूं शब्दों का आकार लिया क्यूं।

तोड़ हृदय के तटबंधों को, बह जाना स्वीकार किया क्यूं।।

जब तक थे अनकहे ये मन में सम्मानित थे अभिमानित थे।

अपनी ही मर्यादा लांघी, और अपना ही व्यापार किया क्यूं।। 

कैलास "काव्यांश"


Why did the feelings of the inner take the shape of words in this way?

Broke the embankments of the heart, accepted it to be washed away.

As long as they were untold, they were honored in the mind.

why did they cross their own limits and did their own business.



kavita...कविता

हार जीत परिणाम समर का नही वीरता का पैमाना निश्छल जिसने युद्ध लड़ा नियति ने सत्यवीर उसे माना मेरी पलकों और नींदों का  रहा हमेशा ब...